ज़िन्दगी हर पल ढलती है,
जैसे बंद मुट्ठी से रेत फिसलती है,
शिकवे कितने भी हो दिल में,
फिर भी हँसते रहना,
क्योंकि ये ज़िन्दगी जैसी भी है,
बस एक बार ही मिलती है।
कैसे कहें कि ज़िन्दगी क्या देती है,
हर कदम पे हर किसी को दगा देती है,
जिनकी जान से ज्यादा कीमत हो दिल में,
उन्हीं से दूर रहने की सज़ा देती है।